05 August 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 7 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 7 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 7

वृत्तांत : रसकपूर परमपिता से अपना दुखड़ा रोते हुए।
तर्ज : देशी

ओ घूर्जटि शिवशकर भोले, मनै तत का ज्ञान बतादे ।
श्रीगंगाजी नै सिर पै धरकै वा भोली शान दिखादे ।।

मैं ब्रह्म पिता की बेटी तूं एक वेश्या के घर जाई।
जन्म से जात, जात से कर्मा, क्यूँ ईसी गति बणाई।
पैर में धुंघरु, मुँह पै गाणा, ना कदे खेली खाई।
वेश्या के घर जन्म लेणियाँ के ना होते ब्याह सगाई।
बान बैठकै मैं घालूँ स्याही, कोऐ ऐसा जतन लगादे ।

रामायण महाभारत गीता, बाँचू हरदम पाक कुरान ।
वेद शास्त्र सारे जाणू, जिनसे बढ़ता मेरा ज्ञान ।
सरस्वती की पूजा करकै, लय में बाँधू सूर और तान ।
पार्वती माँ रक्षक मेरी, जिनका रखती आदर मान ।
जो बणज्या मालिक मेरी जान का वो नर मनै मिलादे ।

दिल में पक्की धार लेई सै, ना वैश्या बणकै रहणा।
न्यूँ तै मैं भी जाण गई यो पड़ेगा दुख मनै सहणा ।
कर्मा करकै मिल्या करै सै साजन, धन और गहणा ।
पतिव्रता ही पति को देती प्रेम सुख और लहणा।
गुरुजनों का मैं मानूँ कहणा जो आकै ज्ञान सिखादे ।

शिवजी, कृष्ण, राम नै पूजूँ, चार बख्त की पढूं नमाज ।
फिर भी दुनिया तान्ने मारै, कैसा उल्टा म्हारा समाज ।
जो तन लागै, वो तन जाणै, राम की लाठी बेआवाज ।
अपणी-अपणी रागणी भई, अपणा-अपणा साज और बाज ।
कहै आनन्द शाहपुर बात राज की, जै कोए ढंग तै गादे ।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21
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04 August 2020

किस्सा अधराजण : रागनी 3 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण : रागनी 3 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण : रागनी 3

वृत्तांत : फतेहकंवर पटराणी षड़यंत्र से रसकपूर के पास अपने चचेरे भाई को राजमहल में रखने की शिफारिश करती है
तर्ज : ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आंख में भरलो पानी।

हे अधराजण कर शान बाहण मेरी, करदे मन की चाही।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

तेरे आगै जोडे हाथ खड़ी सै, फतेकॅवर पटराणी।
रंगमहलों में तू लागै मनै अक्लमन्द घणी स्याणी।।
तू जाणै या मैं जानूँ सूँ , नहीं तीसरे नै जाणी।
जो लगज्या भेद तीसरे नै हो पीहर की ईज्जत हाणि ।।
भीड़ पड़ी में जावै पिछाणी, रिश्तेदार लुगाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

जो राजा ते करूँ सिफारिश, मेरा पीहर छोटा होज्या।
बाकि राणियाँ नै जाण पटै तै, चाळा ए मोटा होज्या ।।
अपणा सिक्का अपणे धोरै, धरया धरया खोटा होज्या।
जो इसने नौकर रख लेगी ते के तेरे टोटा होज्या।।
गगांजी में ज्यौं बोज्या तूं, करले अगत कमाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

बालअवस्था बदन सिंह की, गलती होती नर तै।
मेरे चाचा ने काढ़ दिया वो छोह में आकै घर तै ।।
लिया सहारा आज बहाण का चाचाजी के डर तै।
बदनामी तै बचणा चाहूँ, जैसे लो हा जर ते ।।
पैंडा छुटता दिखै मरकै, किसी आण चढी करड़ाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

घणी देर की विनती कर रही, सुण आनन्द शाहपरिया।
इस छोरे नै ल्यो राख नौकरी चाहे जिस तरिया।।
इतने दासी दास महल में, इसका भी करदो जरिया।
चीड़ी चोंच भर ले ज्यागी ते के घट ज्यावै दरिया।।
परमेशर की पकड़ डगरिया, चालो राही राही।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21
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