किस्सा अधराजण : रागनी 3
वृत्तांत : फतेहकंवर पटराणी षड़यंत्र से रसकपूर के पास अपने चचेरे भाई को राजमहल में रखने की शिफारिश करती है
तर्ज : ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आंख में भरलो पानी।
हे अधराजण कर शान बाहण मेरी, करदे मन की चाही।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।
तेरे आगै जोडे हाथ खड़ी सै, फतेकॅवर पटराणी।
रंगमहलों में तू लागै मनै अक्लमन्द घणी स्याणी।।
तू जाणै या मैं जानूँ सूँ , नहीं तीसरे नै जाणी।
जो लगज्या भेद तीसरे नै हो पीहर की ईज्जत हाणि ।।
भीड़ पड़ी में जावै पिछाणी, रिश्तेदार लुगाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।
जो राजा ते करूँ सिफारिश, मेरा पीहर छोटा होज्या।
बाकि राणियाँ नै जाण पटै तै, चाळा ए मोटा होज्या ।।
अपणा सिक्का अपणे धोरै, धरया धरया खोटा होज्या।
जो इसने नौकर रख लेगी ते के तेरे टोटा होज्या।।
गगांजी में ज्यौं बोज्या तूं, करले अगत कमाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।
बालअवस्था बदन सिंह की, गलती होती नर तै।
मेरे चाचा ने काढ़ दिया वो छोह में आकै घर तै ।।
लिया सहारा आज बहाण का चाचाजी के डर तै।
बदनामी तै बचणा चाहूँ, जैसे लो हा जर ते ।।
पैंडा छुटता दिखै मरकै, किसी आण चढी करड़ाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।
घणी देर की विनती कर रही, सुण आनन्द शाहपरिया।
इस छोरे नै ल्यो राख नौकरी चाहे जिस तरिया।।
इतने दासी दास महल में, इसका भी करदो जरिया।
चीड़ी चोंच भर ले ज्यागी ते के घट ज्यावै दरिया।।
परमेशर की पकड़ डगरिया, चालो राही राही।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
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