07 March 2017

आपस की बात - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

आपस की बात
आपस की बात - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

उस मूरख नै समझाले वो कति, नाश करावैगा।
वो सड़या फिरे सै चौधर में, म्हारा घर तुड़वावैगा।।

तेरा छोटा रै भाई, करै घणी अंघाई
उस जिसे सिपाही, म्हारै भरै तवाई।
उकी ठा रही सै करड़ाई, तन्ने घराँ बिठावैगा।।
वो सड़या फिरे सै चौधर में, म्हारा घर तुड़वावैगा।।

तूँ मेर तै  रै राजी, मैं तेर रै तै राजी
वो सरकारी पाजी, क्यूँ बण रहया काजी
या लगी ज्यान की बाजी, वो म्हारा तलाक़ करावैगा।
वो सड़या फिरे सै चौधर में, म्हारा घर तुड़वावैगा।।

मेरा छोटा रै साळा, वो मन का  रै काळा
मेरी ज्यान का गाळा, वो कर रहया चाळा
वो लिए फिरै सै हाथ में ताला, म्हारा भेड़ भिड़ावैगा।।
वो सड़या फिरे सै चौधर में, म्हारा घर तुड़वावैगा।।

ले बणा प्यार का जरिया, मनै माफ़ करया इस बरिया, 
यो आनन्द शाहपरिया, अर्ज़ करै इस तरिया
जै नहीं मान्या इस बरिया तै, फेर हाड़ तुड़ावैगा।
वो सड़या फिरे सै चौधर में, म्हारा घर तुड़वावैगा।।

©आनन्द कुमार आशोधिया 14 फरवरी 2017

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2019-20
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