15 January 2018

कॉलेज आळी - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

कॉलेज आळी

कॉलेज आळी - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी
बीरा का जब ज़िक्र चल्या कोए गोरी कोए काळी होगी 
भई बदल्या इसा ज़माना इब ये, कॉलेज आळी होगी 
बदल्या इसा ज़माना 

पीहर और, सासरे का, नाम नहीं ध्यान था 
गितवाडा में, काम करें थी, गोबर के म्हा ध्यान था 
(ना बोलण का, ढंग आवै था, ना बिलकुल भी, ज्ञान था) - 2
(ईब थप्पड़ मार के सॉरी कहदें)-2, ये नॉलेज आळी होगी 
बदल्या इसा ज़माना इब ये, कॉलेज आळी होगी 
बदल्या इसा ज़माना

शीत राबड़ी, खाया करती, ना चाट मसाले चाह्वें थी 
खेता के म्हा, मिल्या करे थी, ना होटल में जावें थी 
(बिना बुलाए, आया करती, हमने खूब रिझावें थी) - 2 
(ईब दर्शन के भी टोटे होगे) -2, इसी नखरे आळी होगी
बदल्या इसा ज़माना इब ये, कॉलेज आळी होगी 
बदल्या इसा ज़माना 

साडी कदे, देखी ना, ना देखी कदे मैक्सी थी 
नंगे पाह्या, पैदल जाती, ना देखी कदे टैक्सी थी 
(सरडक ऊपर, जाती हाणा, बिधके ज्यूँ भैंस सी थी)- 2 
(ईब बीच चौराहे करें रे इशारे)-2, ये ट्रैफिक आळी होगी 
बदल्या इसा ज़माना इब ये, कॉलेज आळी होगी 
बदल्या इसा ज़माना 

राम राम भी, जानें ना थी, अब टाटा करके, चलती हैं 
इनका ही क़ानून होग्या, अब ये खूब मचलती हैं 
(सुर्खी बिंदी और लिपिस्टिक, काजल डालके चलती हैं)-2  
(आनन्द कुमार कहे ऊँचें सैंडल)-2 अर ढुंगे पे ताली होगी 
बदल्या इसा ज़माना इब ये, कॉलेज आळी होगी 
बदल्या इसा ज़माना  

आनन्द कुमार आशोधिया©15 जनवरी 2018

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