30 June 2020

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 6

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी


वृत्तांत : सुंदरा दे की अर्ज गुरु गोरखनाथ से
तर्ज शुद्ध देसी


गुरु गोरख मैं तेरी शरण में, कहया मानल्यो मेरा ।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ।।

मैं सतमासी, निरणाबासी, पूरणमासी आज सै
ब्राह्मण न्यौतु, व्रत करूँ, धर्म पुन्न का काज सै
सारा डेरा, आवै तेरा, भोजन मेरे घर आज सै
सारे बाबा, ल्यावै छाबा, भिक्षा खातिर नाज सै
मैं ब्रह्मकुमारी, अर्ज लगारही, चढ़ता आवै सवेरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा | |

जितने साधु, सारे न्यौतूं, त्यार धरे हैं सत पकवान
कल की बरती, भक्ति करती, मेरा रखल्यो आदर मान
गाणा बजाणा, न्हाणा खाणा, और साथ में हो जलपान
सूती ताणा, भगवाँ बाणा, सबतै बाँटूँ, एक एक थान
व्रत मैं खोलूँ, खुशी में डोलूं, देखकै उसका चेहरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ||

करल्यो तावळ, मीठे चावळ, ठण्डी होती थाळी
गरम मसाले, सारे डाले, लाल मिर्च और काळी
नमकीन पापड़, बढिया सापड़, दही आगरे आळी
घी-बूरा और मोतीचूरा, लाडुवाँ की अदा निराळी
जल्दी चालो, भोजन खाल्यो, चिन्ता में जी मेरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ||

नौकर चाकर, दास और दासी सारे सेवा में तैयार
पैर पकड़ती, अर्ज मै करती, सेवा में खड़ी ताबेदार
बारम्बार, करूँ गुहार, मेरी सुणल्यो अर्ज पुकार
मैं राधा वो कान्हा सादा, दर्शन दे दो कृष्ण मुरार
आनन्द शाहपूर वाले नै किसा रुप का जादू फेरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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28 June 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 12 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागणी

किस्सा अधराजण - रागनी 12 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागणी

किस्सा अधराजण - रागनी 12

वृतांत : अमीरण बाई के साथ मुकाबले में रसकपूर का जवाब
तर्ज : यह पर्दा हटा दो, ज़रा मुखड़ा दिखा दो

ओ अमीरण बाई, तू महफ़िल में गाणे आई
तनै अक्कल कोन्या आई, कैसा गाणा चाहिए ।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

गुरु मानसिंह नेत्रहीन थे, ज्ञान का पेडा लागे
उसकी मेवा तोड़ तोड़ कै, बड़े बड़े साँगी खागे
ना छाप काटके गाइए, रंग नया छाँट के ल्याईए
कोए ऐसा राग सुनाइये के रंग छाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

गीत भजन और राग रागणी, नाटक या नौटंकी
जितनी कर दयूं, उतनी ए थोड़ी, प्रशंसा लख्मीचंद की
ढंग की लय भी ठाई जा सै, बेसुरी बुरी बताई जा सै
इज्जत की खाई जा सै, ना के पाप कमाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

मायने के महँ श्री दयाचन्द नए नए छंद बणावे 
नई रागनी, नई तर्ज, इसी लय सुर में वो गावै 
चाहवै सै सारा जमाना, प्रसिद्ध कर दिया जग में मायना
इसा मारे तीर रक्काना, के मन भाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

करके याद गुरु अपणे ने, नई रागणी त्यार करै
मांगेराम पाणची आळा, लय सुर की इसी मार करै
पार करै गंगा जी माई, वार करी ना कथा बणाई, 
इसी शब्दाँ की करी घड़ाई, मन हर्षाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

जाट मेहरसिंह फौज में होके, देश के ऊपर मरग्या
देशभक्ति और वीर रस ने, नस नस के महँ भरग्या
करग्या ऊँचा नाम बरोणा, दुश्मन ते कदे डरो ना
बिन आई मौत मरो ना, हँगा लाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

आज बाजे भक्त और धनपत सिंह ना चन्दरबादी साथ में
श्री राजकिशन गए शीश निवा, ब्राहमण जगननाथ ने
बात ने गलत नहीँ बोलेगा, आनन्द नरजे में तोलेगा
इन्हकी चरण रज ले लेगा, शीश निवाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए
ओ अमीरण बाई.....

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21


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24 June 2020

धोखा चीन का- नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

धोखा चीन का

धोखा चीन का- नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी
मेरी माँ ने शेर जणया सै, ना उसका दूध लजाऊँगा
रणभूमि में वीर लड्या करैं, ना पाछै कदम हटाऊंगा

भारत माँ का मैं वीर सिपाही, दयूं बॉर्डर ऊपर पहरा
चौकी ऊपर खड़या तिरंगा, फर फर फर फर फहरा
चौकस रहियो, चौकस रहियो, मेरा कमाण्डर कह रहा
धोखेबाज लुटेरे चीनी, घात करैं घणा गहरा
सलूट मारके, अटेंशन होग्या, न पलक ताही झपकाउंगा

इतनी कहके सी ओ साहब, दौरा करने चल्या गया
करके वायदा चीन भूलग्या, याद कराने चल्या गया
बिन हथियारां बात करी पर, धोखे के मंह छल्या गया
तू तू मै मै धक्कामुक्की, झगड़े में निहत्था दल्या गया
बीस तीस चीनी कट्ठे आग्ये, एकला ए सबक सिखाऊंगा

भारत माँ के बीस लाड़ले, चीनीयां गेल्या भिड़गे
बिन हथियारां टूट पड़े, फिर दुश्मन स्यामही अडगे
चीनी ले रहे लाठी डंडे, हम ताल ठोंक के बड़गे
भर भर कौली नाड़ तोड़ दी, चीनी ठंडे पड़गे
कुछ मारे, कुछ नदी में गेरे, एक एक ने मजा चखाऊंगा

दहशत फैल गई चीनीयां में, छोरियाँ की ज्यूँ रोवें
शव पे शव और टूटी गर्दन, रो रो मुंह ल्हकोवें
हम बीस शेर हुए खेत देश पे, वे चालीस का शव ढोवें
इब देख के शक्ल हम वीरों की, वे धरती में सिर गोवें
करके देश सुरक्षित आनन्द, चिर निद्रा सो जाऊँगा

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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19 June 2020

असली दर्द- नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

असली दर्द

असली दर्द- नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी
तूँ छोड़ के गई मन्ने, कोए गम ना था।
तूँ बोलती भी कोन्या, यो भी कम ना था।
पर असली दर्द मेरे इस,बात का हुआ।
जब देखके भी मन्ने तू, इग्नोर मारगी।।

मैं रोवता रहया, जंग झोवता रहया।
चैन खोवता रहया, तनै टोहवता रहया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब फोन पे भी आपां ने, ब्लॉक मारगी।।

मन मार भी लिया, तन हार भी लिया।
तेरे प्यार का यो भूत सिर तै, तार भी लिया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब यारां की तूँ म्हारे स्यामही, बोर मारगी।।

मन रूठ भी गया, दिल टूट भी गया।
तेरे प्यार आळा भांडा इब, फ़ूट भी गया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब गैरां के रूपया की तूँ, मरोड़ मारगी।।

गैरां की बाँहयां में तूँ, झूल भी गई।
आनन्द के प्यार ने तूँ, भूल भी गई।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब गले में लपेट सांप, मोर मारगी।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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कदे आज्या याद तेरी- नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

कदे आज्या याद तेरी

कदे आज्या याद तेरी- नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

तूँ छोड़ गई, मुख मोड़ गई, संग ले गई याद सुनहरी 
मैं डरता रहा, पल पल मरता रहा, कदे आज्या याद तेरी

तेरी यादों की बाँध गाँठड़ी, मन्ने कोणे के म्ह धर दी
साँस रोकणा चाहूँ था पर साँसा में तू बसगी
मेरी आत्मा फन्द में फँसगी,  करके याद तेरी

मुस्ता मुस्ता दिल मुस गया, फेर खुसण लाग्या चैन
झर झर सोता सूख गया फेर, सूख गए मेरे नैन
थके नैन तेरा रस्ता तकते, हुई धुंधली याद तेरी

तूँ शून्य हो गई, मैं सुन्न हो गया, ना मेरा रहा वजूद
समूल नष्ट हुआ, बड़ा कष्ट हुआ, भरा ब्याज और सूद
दो ऊत पकड़ के ले चाले, फेर आगी याद तेरी

जी भी दे दिया, ज्यान भी दे दी, इब के रहगी तूँ खटक बता
परम् ज्योत में आके मिलग्या, फेर आनन्द के अटक बता
जीव आत्मा रही भटक बता, क्यूँ आवे याद तेरी

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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18 June 2020

मेरे तन की ढेरी हो ली - विरह - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

मेरे तन की ढेरी हो ली - विरह 

मेरे तन की ढेरी हो ली - विरह - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी
तेरे प्रेम में पड़ के ने मेरे तन की ढेरी हो ली
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली

तूं आवे ना ख़त तेरा मैं, देखे जा सूँ बाट पिया
मैं मरूँ अकेली घुट  घुट कै तूँ, कित लेवै सै ठाठ पिया
के मरु कालजा काट पिया, इब देर भतेरी हो ली 
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली.............   

टेलीफोन मोबाइल धोरे, तूँ कदे करे न कॉल पिया
चौबीस घण्टे रहूँ तड़फती, होज्या सै बेहाल जिया
तने जब भी कर ल्यूं कॉल पिया, तेरी शाम सवेरी हो ली 
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली.............   

मेरे ते प्यार करया करता इब पूजन लाग्या हिन्द ने
तेरे बिरह में पागल होगी, चाहे बूझ लिए आनन्द ने
के रो ल्यूं इस आनन्द ने एक बे, दिखा के शान ल्ह्को ली 
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली.............  

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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