18 June 2020

मेरे तन की ढेरी हो ली - विरह - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

मेरे तन की ढेरी हो ली - विरह 

मेरे तन की ढेरी हो ली - विरह - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी
तेरे प्रेम में पड़ के ने मेरे तन की ढेरी हो ली
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली

तूं आवे ना ख़त तेरा मैं, देखे जा सूँ बाट पिया
मैं मरूँ अकेली घुट  घुट कै तूँ, कित लेवै सै ठाठ पिया
के मरु कालजा काट पिया, इब देर भतेरी हो ली 
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली.............   

टेलीफोन मोबाइल धोरे, तूँ कदे करे न कॉल पिया
चौबीस घण्टे रहूँ तड़फती, होज्या सै बेहाल जिया
तने जब भी कर ल्यूं कॉल पिया, तेरी शाम सवेरी हो ली 
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली.............   

मेरे ते प्यार करया करता इब पूजन लाग्या हिन्द ने
तेरे बिरह में पागल होगी, चाहे बूझ लिए आनन्द ने
के रो ल्यूं इस आनन्द ने एक बे, दिखा के शान ल्ह्को ली 
तेरी मर्जी तूं जाणे पर मैं तो तेरी हो ली.............  

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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