असली दर्द
तूँ छोड़ के गई मन्ने, कोए गम ना था।
तूँ बोलती भी कोन्या, यो भी कम ना था।
पर असली दर्द मेरे इस,बात का हुआ।
जब देखके भी मन्ने तू, इग्नोर मारगी।।
मैं रोवता रहया, जंग झोवता रहया।
चैन खोवता रहया, तनै टोहवता रहया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब फोन पे भी आपां ने, ब्लॉक मारगी।।
मन मार भी लिया, तन हार भी लिया।
तेरे प्यार का यो भूत सिर तै, तार भी लिया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब यारां की तूँ म्हारे स्यामही, बोर मारगी।।
मन रूठ भी गया, दिल टूट भी गया।
तेरे प्यार आळा भांडा इब, फ़ूट भी गया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब गैरां के रूपया की तूँ, मरोड़ मारगी।।
गैरां की बाँहयां में तूँ, झूल भी गई।
आनन्द के प्यार ने तूँ, भूल भी गई।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब गले में लपेट सांप, मोर मारगी।।
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
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