भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
पंजाब प्रांत के, लुधियाणा जिले में, रुड़का नाम एक, गाम हुआ
सतरह जुलाई, सन तैंतालीस, जब सूरज देव का, एहतराम हुआ
त्रिलोचन घर, बच्चा जन्मा, जिसका निर्मलजीत सिंह, नाम हुआ
त्रिलोचन सिंह, वायु सेना का, एक नामी गिरामी, अफसर था
पिता की देखम, देख निर्मल भी, सेना में जाणे को, तत्पर था
सन सड़सत की, चार जून को, वो आया सुनहरी, अवसर था
वायु सेना में, ले कै कमीशन, गया सीख जहाज उडाणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
ट्रैनिंग ले कै, श्रीनगर के एयर बेस में, निर्मल की हुई, तैनाती
वायु सेना के, नेट जहाजों से, रोजाना सोरटी, भरी जाती
पायलट से, फ्लाइंग अफसर बणग्या, खुश होगे सारे, सँगी साथी
परमोशन सँग, जिम्मेदारी भी, साथ साथ बढ़, जाती है
एयरबेस की, रक्षा करने की, ड्यूटी सिर चढ़, जाती है
बर्फीला, ठण्डा मौसम, पहाड़ी भी आगै अड़, जाती है
जयहिंद करकै, सदा ड्यूटी चढ़ता, ना छोडी मूँछ, पिनाणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
सन इकहत्तर, चौदह दिसम्बर, पकिस्तान नै, करी हिमाकत
श्रीनगर एयरबेस पै, हमला करण में, झोंक देइ, पूरी ताकत
एयर रेड का, हूटर बजग्या, यो दुश्मन नै गेर, देइ आफत
द फ्लाइंग बुल्लेट, अठारहा स्क्वाड्रन, रेड़ी अपणी, बारी में
निर्मलजीत सिंह, भी था ड्यूटी पै, तैयार तत्परता, पारी में
पल भर की भी, देर करी ना, काउंटर अटैक की, त्यारी में
भाजकै चढ़ग्या, नेट जहाज में, उकी चालू करी, कमाणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
एयरफील्ड में, सुबह आठ बजे सी, धुंध हो रही थी, भारी
ठन्डे और, बर्फीले मौसम में, दिखण की हो रही, दुश्वारी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट, घुम्मनऔर निर्मल नै, ठा ली थी, जिम्मेदारी
आठ बजकै, चार मिनट पै, करया उड़ने का, सिग्नल जारी
दस सेकण्ड जब, जवाब मिल्या ना, चालू करदी, उड़न सवारी
पहले घुम्मन, फिर निर्मलजीत सिंह, दोनों भरगे, गगन उडारी
फेर दुश्मन नै एक बम दे मारा, हुई चौगिरदे धुम्मा धाणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
दुश्मन के बम नै, एयरफील्ड पै, अफरातफरी, खूब मचाई
गगनमंडल, भरग्या धुम्मे तै, ना दे था कुछ भी, सही दिखाई
पाकिस्तान के, छह सेबर जेट, निर्मलजीत नै, दिए दिखाई
एक सेबर जेट, लिया निशाने पै, पल भर की ना, देर लगाईं
तेज गति से, मारा निशाना ,सेबर जेट कर दिया, धाराशायी
फेर दूजे सेबर, जेट को घेरकै, उके पिछवाड़े में, आग लगाईं
कमाण्डर सचेत, करता रहग्या, अनसुणी करदी उसकी बाणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
निर्मलजीत की, आवाज सुनाई पड़ी, मैं दुश्मन नै ना, आवण दूँगा
दो सेबर जेट, जहाजों के पीछे हूँ, अब उनको भी ना, जावण दूँगा
जब तक मेरी, जां में जां है, ना हाथ धरा कै किसे नै, लावण दूँगा
बोला मेरा जेट भी, निशाने पै आग्या, इब तूं सम्भाळ, घुम्मन भाई
निर्मलजीत कै गोळी लग गई, इसके बाद कोए, आवाज ना आई
फ्लाइट कमाण्डर भी, कहता रहग्या, चौकसी बरतणा, मेरे भाई
दो सेबर जेट का, हाल देखकै, बाकि चार नै पड़गी, दुम दबाणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
फ्लाइंग अफसर, निर्मलजीत सिंह, देश के ऊपर, ढेर होग्या
एक अकेला, छह जेट दुश्मन के, दुश्मन स्याहमी, शेर होग्या
पाकिस्तान की, आँधी आगै, एकला छाती ताण, सुमेर होग्या
जहाज का मलबा, एक घाटी में, कई मील दूर पै, पाया था
खोज करी थी, सेना नै पर, निर्मल का शव नहीं, पाया था
सेना जाँच पूर्ण होणे पै, वीर को शहीद घोषित, करवाया था
सारा युद्ध दिया पलट ऐकले नै, पाक नै पड़गी मुँह की खाणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
अठाइस साल के, रणबाँकुरे नै, दुश्मन के दाँत, कर दिए खट्टे
पाकिस्तान के, सेबर जेट नष्ट कर, रणभूमि में, कर दिए इकट्ठे
दो मार गिराए, चार वापिस भगाए, दुश्मन गैल्यां, कर दिए ठट्ठे
मरणोपरान्त, निर्मलजीत सिंह को, परमवीर चक्र से, गया नवाजा
शहीद के सम्मान में, कहीं बुत लगा तो, कहीं भवन और, दरवाजा
“आनन्द शाहपुर”, न्यू कहता वीर नै, एकबै फेर जन्म, लेकै आजा
शहीदों की बरसी पर, हर साल लगैंगे मेळे, ना होगी बात पुराणी
निर्मलजीत सिंह सेखों जट की, आज सुणल्यो अमर कहाणी
भारत के परमवीर चक्र विजेता की, मनै पड़गी बात बताणी
रचयिता : वारंट अफसर आनन्द कुमार आशोधिया (Retd)

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