धोखे की गाथा - नई हरयाणवी रागनी
धोखे की इसी गाथा बणगी, इब रिश्तां का खेल ग़ज़ब होग्या
कोए मत करियो यकीन बीर का, ज़माना कति बेढब होग्या
धोखा दे कै प्यारे माणस तै, गैरां की रात सजावण लागी
पिसे ऐंठण खातिर ढोंगण, प्यार का ढोंग रचावण लागी
प्यार के नाम पै बड़े बड़ा नै, उल्टी चाल चलावण लागी
रूप हुशन की अदा दिखाकै, नए नए यार बणावण लागी
लिहाज़ शर्म का खोज रहा ना, सब कुछ बे-अदब होग्या
धोखे की इसी गाथा बणगी, इब रिश्तां का खेल ग़ज़ब होग्या
कोए मत करियो यकीन बीर का, ज़माना कति बेढब होग्या
खुद हमबिस्तर होकै यार संग झूठे आरोप लगावण लागी
तोड़ कै नै दिल अर भरोसा, पुलिस में पकड़वावण लागी
बणा बहाना तलाक लेवण का, पिसां का खेल रचावण लागी
ब्याहे खसम नै मरवाकै यार पै, सीमेंट में चिणवावण लागी
सामजिक मर्यादा भुलकै, लुच्चे यारां गैल्यां ढब होग्या
धोखे की इसी गाथा बणगी, इब रिश्तां का खेल ग़ज़ब होग्या
कोए मत करियो यकीन बीर का, ज़माना कति बेढब होग्या
महबूबा का रूप देख कै, दिल अर दिमाग फिसलण लागे
साच्चा प्यार अर भरोसा, इब तै बस नाममात्र के रहण लागे
इन लुगाइयाँ के लालच में लोगो, रिश्तां के महल गिरण लागे
प्लास्टिक के लीले ड्रामा तै, आछे आछे मरद डरण लागे
खुद ब्याही बीर भी धोखे तै मारैं, यो डर का एक सबब होग्या
धोखे की इसी गाथा बणगी, इब रिश्तां का खेल ग़ज़ब होग्या
कोए मत करियो यकीन बीर का, ज़माना कति बेढब होग्या
इन्हकी शतरंज बरगी चाल दुरंगी, तूँ कति समझ ना पावैगा
इन्ह बीरां के चक्कर में फँसकै, तूँ बेमतलब नाड़ तुड़ावैगा
उस ब्रह्मा की भी चाली कोन्या, यो आनन्द के सुळझावैगा
गुरु पालेराम तै बूझ लियो चाहे, वो तै आकै भेद बतावैगा
परिवारां के मोल रहे ना इब पैसा ए सब का रब होग्या
धोखे की इसी गाथा बणगी, इब रिश्तां का खेल ग़ज़ब होग्या
कोए मत करियो यकीन बीर का, ज़माना कति बेढब होग्या

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