28 August 2021

किस्सा अधराजण - रागनी 16 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 16 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 16 

वृत्तांत : हलकारा षडयंत्र वश रसकपूर के खिलाफ जहर उगलता 
जिसे सुनकर महाराज जगतसिंह रसकपूर से क्रोधित होकर 
गुस्से में हलकारे से बातचीत करते हुए।

तर्ज : देशी

मेवे की फळी, वा रस की डळी, हुई जहर घुळी, ना चाखण की रह रही
कोयल सी कूक, हो रही सै मूक, गई फर्ज चूक, ना गावण की रह रही

छह महीने तै, ना चिट्ठी पत्री
वा बणकै बैठगी, राणी छत्री
ना कोए सन्देशा, हुआ अंदेशा, जो हुआ हमेशा, ना चाहवण की रह रही

चोरी चोरी वा दगा कमावै
घर के भीतर यार बसावै
उकै हया नहीँ, उकै दया नहीँ, उनै सहया नहीँ, इब दुख पावण की रह रही

रसकपूर मेरे दिल की प्यारी
दिल पे करगी वार दुधारी
वा देगी दगा, मैं रहग्या ठग्या, दिया सुता जगा, कसर के ठावण की रह रही

बेगैरत मेरे मन तै गिरगी
आनन्द शाहपुर पक्की जरगी
वा ले रही मज़ा, ठा ल्याई क़ज़ा, मैं दयूंगा सजा, बात ना भुलावण की रह रही

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2021-22


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