हरियाणे में व्याप्त कुरीति
जो बीत गई वो समो पुराणी इब तेरे हाथ ना आवण की
पहले से ही निश्चित तारीख सबके ऊपर जावण की
मौत आवणी सबनै बेरा पर कौण मरया चाहवै सै
जिसके लागै वो तन जानै हिया ऊदल कै आवै सै
आँख समन्दर होज्या सै फेर सब कोए धीर बंधावै सै
रिश्तेदार अगड़ पड़ोसी कोए आवै कोए जावै सै
माणस घटज्या घर भी लूटज्या, रहज्या कसर खिलावण की
जिस घर में कोए मृत्यु होज्या, वो दुख सबतै मोटा हो
किसे कै माणस, किसे कै अन्न, किसे कै धन का टोटा हो
आंख में आँसू, चढ़े कढ़ाई, चाहे बड्डा हो या छोटा हो
शोक संतप्त परिवार का खाणा श्रीकृष्ण कहै खोटा हो
हरियाणे में व्याप्त कुरीति, या तेहरामी पै खावण की
श्रीकृष्ण नै दुर्योधन गिरफ्तार करण चाल्या था
विश्वरूप देख सुदर्शन कइयां का दिल हाल्या था
दुर्योधन श्रीकृष्ण नै रसोई जिमावन चाल्या था
श्रीकृष्ण गए नाट खाण ते धर्म का दिया हवाला था
द्वेष क्लेश में जीम रसोई राह सै पाप कमावण की
मृत्यु भोज का खाणा खिलाणा हिन्दू धर्म नहीँ सै
श्रुति स्मृति वेद पुराण में तेरहवां कर्म नहीँ सै
ब्रह्म सूत्र और उपनिषदों में ऐसा मर्म नहीँ सै
आनन्द शाहपुर इस जीवन में थोड़े भ्रम नहीं सै
इस प्रथा के खिलाफ जरूरत पड़गी बिगुल बजावण की
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2021-22
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