28 May 2021

मुफ्तखोरी - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

मुफ्तखोरी

मुफ्तखोरी - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

साधन सम्पन्न इज्जतमन्द भी करण लागगे जारी
मुफ्तखोरी और लालच की लोगो देश के लगी बिमारी

म्हारे कोठी बंगले महल हवेली, गाडी घोड़े खड़े हुए
अन्न धन का म्हारे टोटा कोन्या, देहली ताही अड़े हुए
सरकारी पेन्शन मिलज्या, जणु पैसे पाग्ये पड़े हुए
सरकारी राशन मिलज्या फेर, गेहूँ मिलो चाहे सिड़े हुए
मुफ्त का राशन, मुफ्त की पेन्शन, लालच होग्या भारी

कर फर्जीवाड़ा कागज़ात में, उम्र पुराणी लिखवाली
चालीसवें में साठ लिखाकै, बुजुर्ग पेन्शन बणवाली
हर महीने ल्यु नकद पेन्शन, साथ मे ल्यावै घरवाली
कर कै दस्तख झूठ मूठ के, बैंक की कापी भरवाली
लूट लूट कै घर भर ल्यूँगा, चाहे कोष रीतो सरकारी

मिलीभगत और रिश्वत आगे, सब सिस्टम बेकार हुआ
सरकारी बाबू तै मिलकै, मैं राशन का हकदार हुआ
बी पी एल का कार्ड ले कै, मैं मँगता में शुम्मार हुआ
गरीब आदमी का हक था मैं, ले के राशन पार हुआ
गरीब मरो चाहे भूखा रहो, के मेरे सिर जिम्मेवारी

ऐंठ अकड़ दुगणी राखूं खा, बेईमानी का राशन मैं
घिट्टी के म्ह बुडका भरल्यूं, जो खलल करै मेरे शासन में
गवर्नमेंट ना किसे काम की, देउँ बेशर्मी तै भाषन मैं
पतली गली तै चोरी कर कै, खुड़कण दयूंना बासन मैं
आनन्द शाहपुर चोर मोर पे हुई चोरां की सरदारी

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2021-22

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