01 July 2020

किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9

किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : सुंदरा दे की अर्ज भक्त पूरणमल से
तर्ज - कजरा मोहब्बत वाला

सुंदरा : गोरा सै तेरा बाणा, दिखे सै बाबा स्याणा।
           मरज्याणे इसी घलगी मेरै घाल, हाय रे मै होग्यी बेहाल।
    
पूरण : मैं तो एक बाबा रै ठैहरया, तन्ने के कोन्या बेरा।
     मेरे संग कोन्या लागे ताल, क्यूँ कर रही सै अपणा जिया काल।।

सुंदरा : डेरे पै तेरे आऊँ, तेरे गुरु ने मनाऊँ
           बदले में दयूंगी धन और माल, सेवा करूँगी सालों साल।

पूरण : हम तो सै सच्चे रै साधु, तने देखे होंगे और स्वादु
          म्हारा तै सबतै यो सवाल, मुट्ठी भर भिक्षा जा नै डाल।।

पूरण : सांसारिक मोह और माया, औरत को रोग बताया
  गुरु गोरख की शिक्षा का कमाल, क्यूँ फेंके सै अपणा माया जाल।

सुंदरा : औरत से पैद कहाते, औरत को तुच्छ बतलाते
           मर्दों की कैसी ओळी चाल, ओढ़ें से झूठी थोथी खाल।।

सुंदरा : सुणले मैं तन्ने बरूँगी, ना तै बेमौत मरूँगी
          गिरूँगी कुँए, झेरै ताल, उठें सै सौ सौ मण की झाल।।

पूरण : आनन्द सच्चाई कहता, बाल ब्रह्मचारी रहता
          मेरा निकालो दिल से ख्याल, भोळा करेगा सब सँभाल।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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