सुंदरा : गोरा सै तेरा बाणा, दिखे सै बाबा स्याणा।
मरज्याणे इसी घलगी मेरै घाल, हाय रे मै होग्यी बेहाल।
पूरण : मैं तो एक बाबा रै ठैहरया, तन्ने के कोन्या बेरा।
मेरे संग कोन्या लागे ताल, क्यूँ कर रही सै अपणा जिया काल।।
सुंदरा : डेरे पै तेरे आऊँ, तेरे गुरु ने मनाऊँ
बदले में दयूंगी धन और माल, सेवा करूँगी सालों साल।
पूरण : हम तो सै सच्चे रै साधु, तने देखे होंगे और स्वादु
म्हारा तै सबतै यो सवाल, मुट्ठी भर भिक्षा जा नै डाल।।
पूरण : सांसारिक मोह और माया, औरत को रोग बताया
गुरु गोरख की शिक्षा का कमाल, क्यूँ फेंके सै अपणा माया जाल।
सुंदरा : औरत से पैद कहाते, औरत को तुच्छ बतलाते
मर्दों की कैसी ओळी चाल, ओढ़ें से झूठी थोथी खाल।।
सुंदरा : सुणले मैं तन्ने बरूँगी, ना तै बेमौत मरूँगी
गिरूँगी कुँए, झेरै ताल, उठें सै सौ सौ मण की झाल।।
पूरण : आनन्द सच्चाई कहता, बाल ब्रह्मचारी रहता
मेरा निकालो दिल से ख्याल, भोळा करेगा सब सँभाल।।
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
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