किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 3
वृत्तांत : कुँए में से पूरणमल की पुकार
तर्ज : कहे तोसे सजना, ये तोहरी सजनिया पग पग लिये जाऊँ, तोहरी बलइयाँ
कोई तो बचालो मुझको, मैं हूँ अपंग |
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ।।
हे रै मेरा पिता सै मेरा हत्यारा।
मौसी के कहे में, आकै मैं तो मारा।।
माँ का दुलारा उसकी आँख्याँ की उमंग ।
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ||
करण गया था मैं तो मौसी के दर्शन।
पाउँ जो दर्शन तो, होवै जिया प्रसन्न।।
शीश निवाया मन्नै, जित मौसी के चरण ।
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ||
काम के वश हुई, मौसी मेरी।
लगी मोहवण मनै, करी कोशिश भतेरी।।
रोवै धमकावै, मोहवै, जणुं पीए हुए भँग |
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ।।
मैं मुजरिम बण्या, जज बाबु मेरा।
मौसी पार्टी, कसै झूठ का घेरा।।
कोऐ ना वकील मेरा, आनन्द कैसे जीतूं जंग |
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ।।
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
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