किस्सा अधराजण - रागनी 10
वृत्तांत : अधराजण की अर्ज बाहदुर से
तर्ज : हो छोरे मतना पकड़े हाथ
हो बाहदुर, मतना मारे लात, राखले, अधराजन की बात
जात का, थेहड़ा पिट ज्यागा, महल में, बेरा पट ज्यागा
वो दिन भूल गया डयोढ़ी पे, ठोंके था सलाम
ठोंके था सलाम
मेरे हुक्म तै छुटया था, जब, पीटे था तने गाम
पीटे था तने गाम
राम का, करले दिल पे ख्याल, आज मेरा, यो हे एक सवाल
टाल कर, दुखड़ा मिट ज्यागा, दुख का बादल हट ज्यागा
काल ताही मैं हाकिम थी, तूँ नौकर मैं राणी
नौकर मैं राणी
सारी प्रजा सुख में बसती, मैं हे धक्केखाणी
मैं हे धक्केखाणी
स्याणी, होके हुई बिरान, रे मतना खींचे मेरे प्राण
कान दे, छोड़ लटक ज्यागा, दर्द तै पर्दा फट ज्यागा
राजा रुस्या, प्रजा रूसी, रूस गई तकदीर
रूस गई तकदीर
मार कै कोड़े खाल खींच ली, होवे सै घणी पीर
होवे सै घणी पीर
होगे कपड़े झीरमझीर,रे बेबस, होगी अर्धनग्न
अंग का, वस्त्र फट ज्यागा, शर्म तै हिरदा फट ज्यागा
आनंद शाहपुर आळे ने भी, ख्याल करया ना मेरा
ख्याल करया ना मेरा
दे के हुक्म डिगरग्या बैरी, मेरा करग्या उज्जड डेरा
करग्या उज्जड डेरा
तेरा मानूँगी एहसान, बख्श मेरा, दुख पा रहया सै गात
रात जा, दिन भी छंट ज्यागा, भूप का गुस्सा हट ज्यागा
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
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