किस्सा अधराजण रागनी 11
वृत्तांत : रसकपूर की पुकार अपने प्रेमी को श्री कृष्ण भगवान केशव के मध्यम से
तर्ज : देशी
किरशन तूँ ही बतादे राधा रोवे क्यूँ पल पल तेरी याद में।
राधे न्यारी डगरिया म्हारी, चलणा पड़ेगा एकला बाद में।।
तेरे प्रेम की मुश्क लगी फेर मेरा के सै दोष
होणी बणी होण की खातिर मत कर राधे रोष
राधे होश गँवावे मतना, प्यार रहेगा हरदम साथ में।।
आँख मूंदते तूँ ही दिखे, दिल में बसगी सूरत
परम पिता परमेशर की तूँ दिल में लाइए मूरत
सूरत रह ज्यागी जग में सीरत जावेगी राधे तेरे साथ में।।
ज्ञान शास्त्र मैं के जाणू, झूठा तेरा व्यवहार
नीत लगाले पनमेशर में यो जीवन का सार
राधे टूट जा तार साँस की, माटी की खोड़ रहज्या गात में।।
आनन्द शाहपुर आळा भी गैल्या कर रहया विनती
एक दिन जोड़ा पाटे सै ना सदा किसे की बणती
गिणती मेरी भी होज्या राधे नाम जुड़ेगा तेरे साथ में।।
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
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