01 July 2020

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 4 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 4
किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 4 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : सुंदरा दे की वार्ता दासियों से
तर्ज : दीदी तेरा देवर दीवाना

कितना सुथरा था यो बाबा मरज्याणा
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा
के माँगै था कोए मन्नै भी बताणा
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा-2

मैं सोउँ थी भीतर, न्यू ताणे रजाई ।
जब आया था बाबा, तै क्यूँ ना जगाई ।।
अपणे हाथाँ तै जिमाती उनै खाणा ।।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

नींद की गफलत में, जो ली अंगड़ाई ।
उकी मीठी सी बाणी, मेरे कानाँ मैं आई।।
गोरे रंग पै, खिल्या था गोरा बाणा ।।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

तुम सारी निगोड़ी, ना काम-काज की।
साँझ सवेरे, धड़ी ए नाज की ।।
थारी गलती का ना कोऐ ठिकाणा ।।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

मैं भाजी भतेरी, के दर्शन पाउँ ।
गुरुजनों बिन, कैसे गाउँ।।
यो आनन्द नै बणाया कैसा गाणा।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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