12 July 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 6

वृत्तांत : बनवारी लाल द्वारा रसकपूर का सौंदर्य वर्णन राजा जगतसिँह से
तर्ज : हो मन्ने आँवे हिचकी

मन्नै खिम्मा घणी हूजूर,
हाथ जोड़कै विनती करता करदो माफ कसूर
मन्नै खिम्मा घणी हूजूर।

इक्कीस राणी तेरे महल में, उन्नीस पटराणी।
इस गौरी के आगे भरती दिखें सारी पाणी।।
मटकी छलकैगी जरुर.....

के बेरा कौण दस्तक देवै उसके मन खाली में
के बेरा कौण डुबैगा उस मद जोबन प्याली में
थारे होंठां तै थोडी दूर...

गोरे रंग के लश्कारे पै नीले नीले नैन
जो भी देखै नजर मिलाकै उसका लूटै चैन
ऐसी दो नैनाँ की घूर..

ना मानो तै बूझ लियो चाहे आनन्द मेरा गवाह
शम्मा उपर परवाने तो होते हैं स्वाह
के सै आशिक का कसूर..

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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