किस्सा अधराजण - रागनी 1
वृत्तांत : सुगम सिंह के साथ रसकपूर की जुगलबंदी के समय कवि द्वारा व्याख्या।
तर्ज : देशी
सुगम सिंह लग्या साज बजाणे, सरस्वती नै लग्या मनाणे
मस्ती में लग्या नाड़ हिलाणे, दे कै उँची तान
होsss, दे कै उँची तान
महफिल में रंग ऐसा छाया
पात्ता तक ना हिलै हिलाया
रसकपूर नै सूर जो ठाया, फेर छेड़ दिया इसा गान
होSSS, छेड़ दिया इसा गान
छम-छम छम-छम पायल बोल्लै
जैसे बण में कोयल बोल्लै
फिरकी की ज्यूँ धरा पै डोल्लै, किसी लय-सूर की पहचान
होSSS, लय सूर की पहचान
मन्दा उँचा मध्यम बजाया
सुगम सिंह ने जोर लगाया
फेर एकदम सप्तम पै आया, ना दिखे बचती आन
होSSS, ना दिखे बचती आन
आनन्द कुमार न्यूँ सोच मे पड़ग्या
इन नौसिखियाँ तै पाळा पड़ग्या
ईज्जतमन्द नै गाणा पड़ग्या, बख्श मन्ने भगवान
होsss, बख्श मन्ने भगवान
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
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