05 August 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 7 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 7 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 7

वृत्तांत : रसकपूर परमपिता से अपना दुखड़ा रोते हुए।
तर्ज : देशी

ओ घूर्जटि शिवशकर भोले, मनै तत का ज्ञान बतादे ।
श्रीगंगाजी नै सिर पै धरकै वा भोली शान दिखादे ।।

मैं ब्रह्म पिता की बेटी तूं एक वेश्या के घर जाई।
जन्म से जात, जात से कर्मा, क्यूँ ईसी गति बणाई।
पैर में धुंघरु, मुँह पै गाणा, ना कदे खेली खाई।
वेश्या के घर जन्म लेणियाँ के ना होते ब्याह सगाई।
बान बैठकै मैं घालूँ स्याही, कोऐ ऐसा जतन लगादे ।

रामायण महाभारत गीता, बाँचू हरदम पाक कुरान ।
वेद शास्त्र सारे जाणू, जिनसे बढ़ता मेरा ज्ञान ।
सरस्वती की पूजा करकै, लय में बाँधू सूर और तान ।
पार्वती माँ रक्षक मेरी, जिनका रखती आदर मान ।
जो बणज्या मालिक मेरी जान का वो नर मनै मिलादे ।

दिल में पक्की धार लेई सै, ना वैश्या बणकै रहणा।
न्यूँ तै मैं भी जाण गई यो पड़ेगा दुख मनै सहणा ।
कर्मा करकै मिल्या करै सै साजन, धन और गहणा ।
पतिव्रता ही पति को देती प्रेम सुख और लहणा।
गुरुजनों का मैं मानूँ कहणा जो आकै ज्ञान सिखादे ।

शिवजी, कृष्ण, राम नै पूजूँ, चार बख्त की पढूं नमाज ।
फिर भी दुनिया तान्ने मारै, कैसा उल्टा म्हारा समाज ।
जो तन लागै, वो तन जाणै, राम की लाठी बेआवाज ।
अपणी-अपणी रागणी भई, अपणा-अपणा साज और बाज ।
कहै आनन्द शाहपुर बात राज की, जै कोए ढंग तै गादे ।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21
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04 August 2020

किस्सा अधराजण : रागनी 3 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण : रागनी 3 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण : रागनी 3

वृत्तांत : फतेहकंवर पटराणी षड़यंत्र से रसकपूर के पास अपने चचेरे भाई को राजमहल में रखने की शिफारिश करती है
तर्ज : ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आंख में भरलो पानी।

हे अधराजण कर शान बाहण मेरी, करदे मन की चाही।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

तेरे आगै जोडे हाथ खड़ी सै, फतेकॅवर पटराणी।
रंगमहलों में तू लागै मनै अक्लमन्द घणी स्याणी।।
तू जाणै या मैं जानूँ सूँ , नहीं तीसरे नै जाणी।
जो लगज्या भेद तीसरे नै हो पीहर की ईज्जत हाणि ।।
भीड़ पड़ी में जावै पिछाणी, रिश्तेदार लुगाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

जो राजा ते करूँ सिफारिश, मेरा पीहर छोटा होज्या।
बाकि राणियाँ नै जाण पटै तै, चाळा ए मोटा होज्या ।।
अपणा सिक्का अपणे धोरै, धरया धरया खोटा होज्या।
जो इसने नौकर रख लेगी ते के तेरे टोटा होज्या।।
गगांजी में ज्यौं बोज्या तूं, करले अगत कमाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

बालअवस्था बदन सिंह की, गलती होती नर तै।
मेरे चाचा ने काढ़ दिया वो छोह में आकै घर तै ।।
लिया सहारा आज बहाण का चाचाजी के डर तै।
बदनामी तै बचणा चाहूँ, जैसे लो हा जर ते ।।
पैंडा छुटता दिखै मरकै, किसी आण चढी करड़ाई।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

घणी देर की विनती कर रही, सुण आनन्द शाहपरिया।
इस छोरे नै ल्यो राख नौकरी चाहे जिस तरिया।।
इतने दासी दास महल में, इसका भी करदो जरिया।
चीड़ी चोंच भर ले ज्यागी ते के घट ज्यावै दरिया।।
परमेशर की पकड़ डगरिया, चालो राही राही।
बदन सिंह नै ल्यो सेवा में, मेरा चचेरा भाई।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21
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29 July 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 1 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 1 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 1

वृत्तांत : सुगम सिंह के साथ रसकपूर की जुगलबंदी के समय कवि  द्वारा व्याख्या।
तर्ज : देशी

सुगम सिंह  लग्या साज बजाणे, सरस्वती नै लग्या मनाणे
मस्ती में लग्या नाड़ हिलाणे, दे कै उँची तान
होsss, दे कै उँची तान

महफिल में रंग ऐसा छाया
पात्ता तक ना हिलै हिलाया
रसकपूर नै सूर जो ठाया, फेर छेड़ दिया इसा गान
होSSS, छेड़ दिया इसा गान

छम-छम छम-छम पायल बोल्लै
जैसे बण में कोयल बोल्लै
फिरकी की ज्यूँ धरा पै डोल्लै, किसी लय-सूर की पहचान
होSSS, लय सूर की पहचान

मन्दा उँचा मध्यम बजाया
सुगम सिंह ने जोर लगाया
फेर एकदम सप्तम पै आया, ना दिखे बचती आन
होSSS, ना दिखे बचती आन

आनन्द कुमार न्यूँ सोच मे पड़ग्या
इन नौसिखियाँ तै पाळा पड़ग्या
ईज्जतमन्द नै गाणा पड़ग्या, बख्श मन्ने भगवान
होsss, बख्श मन्ने भगवान

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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28 July 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 2 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 2 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 2

वृत्तांत : रसकपूर की विनती आक्रमणकारी खान से
तर्ज : मैंने तुझको चाहा ये है मेरी मेहरबानी

होSS जगतसिंह राजा की राणी, मैं सूँ रसकपूर।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर ।।

मेरे पति गए, लड़ने लड़ाई।
पाछे तै आकै तनै, करदी चढ़ाई।
मानज्या नै भाई ना कर सेना का गरूर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर ।।

मैं एक अबला, नार अकेली।
करकै चढ़ाई, तनै आग में धकेली।
संग में कोन्या मन का मेली, मेरी अँखियों का नूर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर।।

हुमायूँ बण्या था भाई, कर्मवती का।
फर्ज निभादे तू भी, मर्द जती का।
रसकपूर सती का धागा करले नै मंजूर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर।।

प्रेम की राखी, ल्याई मैं बुणकै।
गुरुजनों की शिक्षा नै गुणकै।
आनन्द कुमार का गाणा सुणकै, चढग्या नया सरुर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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किस्सा अधराजण - रागनी 4 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 4 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 4

वृत्तांत : जयपुर राजघराने की उत्पत्ति
तर्ज : देशी

सूर्यवंश के कछवाहा गोत्र में, रजपूतों का उत्थान हुआ ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ।।

करकै ख्याल देशकाल का, उनै जयपुर शहर बसाया ।
अपणे सुख ते भी बढ़कै उनै, प्रजा का सुख चाहया ।
राजा का न्या हुया करै था पर, ना कोई गरीब सताया।
वो आँख मूंद के चला गया, ना फेर कदे लौट के आया।
राम- राम कर चला गया वो, जिसका वंशज राम हुआ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ।।

जयसिंह के बेट्याँ का मन, आपस के म्हाँ पाट गया ।
गद्दी का लालच भाईयाँ नै, आपस के म्हाँ बाँट गया।
माधोसिंह, ईश्वरसिंह ने, राजा मानण ते नाट गया।
करकै साँठ मराँठा तै वो, भाई के पत्ते काट गया।
जिन्दगी के दिन पुरे होगे, फिर उसका भी काम तमाम हुआ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ।।

पाँच साल का पृथ्वीसिंह था, छोटी राणी का जाया।
प्रतापसिंह था तीन साल का, उस महाराणी का जाया।
उम्र में बड़ा होण के कारण, पृथ्वीसिंह गद्दी पे छाया ।
बाल उम्र में महाराणी ने विष दे के नै मरवाया।
तख्त ऐ ताउस दिल्ली पै तब शाहआलम एक खान हुआ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ।।

राजा बणकै प्रतापसिंह कै, दारु का चढ़ा नया सरूर ।
आकै मौत निगलगी उसनै, मौत का पंजा बड़ा क्रूर ।
आवागमन लग्या दुनिया में, यो कुदरत का है दस्तूर ।
जगतसिंह ईकलौता बेटा, जयपुर का बण्या नया हजूर ।
आनन्द कुमार कहै उम्र बीतगी, ना ईश्वर का ज्ञान हुआ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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27 July 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 8 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 8 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 8

वृत्तांत : हीरालाल द्वारा रसकपूर का सौंदर्य वर्णन राजा जगतसिँह से
तर्ज : देशी

हो जगतसिंह महाराज, महाराज, आज देखी हूर निराली सै ।
हो जगतसिंह महाराज, महाराज, आज देखी हूर निराली सै ।।

वा तै छम्म-छम्म करती चालै सै
वा तै बडबेरी सी हालै सै
वा तै घालै सै इसी घाल, हाय घाल, उकी तिरछी नजर कुढाली सै।

वा तै शिक्षित दीक्षित पारंगत सै
उकी सेब संतरे सी रंगत सै
उकी संगत से बड़ी खास, हाय खास, वा तै बडे लाडा तै पाली सै।

वा तै शान शक्ल की सुथरी सै
जणू कोऐ परी सुरग तै उतरी सै
लद रही जोबन तै इसी ढाळ, हाय ढाळ, जणु फल मेवा की डाली सै।

वा तै अक्लमन्द घणी स्याणी सै
जणु किसे राजा की राणी सै
वा तै पाणी कैसी धार, हाय धार, आनन्द की देखी भाली सै।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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आज्या राखी बंधा ज्या भाई - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

आज्या राखी बंधाज्या भाई

आज्या राखी बंधा ज्या भाई - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

आज्या राखी बंधा ज्या भाई, बाहण पुकारे तेरी याद में।
सुन्नी तेरी कलाई भाई, जाइए तूँ बॉर्डर ऊपर बाद में।।

तूँ आया जब खुशी खुशी में, घर घर बंटी मिठाई।
बाळक सी थी फिरूँ नाचती, फूली नही समाई।।
भाई आग्या घर म्हारै सारै गाती फिरूँ थी दिन और रात में।।

दसमी कर के कॉलेज पढ़ग्या, भर्ती हुया फौज में
भारत माँ की करे नौकरी, कुनबा हुया मौज में
रोज मैं याद करूँ मेरे बीरा, आणा था इबकै तन्ने साढ़ में।।

सामण आग्या, झूले पड़गे, मन में खुशी समाई
सारे गाम में रुक्का पड़ग्या, छूटी आग्या भाई
ल्याई प्रेम की राखी रे बुणके, प्यारे से भाई के लाड में।।

कोए बहाना इब ना चाले, नेग लेऊँगी डटके
हाथ बढ़ा ल्या राखी बाँधू, वारी जाऊं सदके
जबते आनन्द भाई ते फेटी मानूँ सूँ घणी ए उसकी ठाढ़ मैं।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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किस्सा अधराजण - रागनी 5 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 5 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 5

वृत्तांत : रसकपूर की वार्ता अपनी सखी दासी सुम्मन से।

सुण सुम्मन प्यारी, तू कर तय्यारी, आज मिलण की रात।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

मनै बान बिठादे, मेरै तेल चढ़ादे।
दो गीत गवादे, फेर मनै न्हवादे।
दो गीत गवादे, फेर मनै न्हवादे, चमकादे मेरा गाssत।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

मनै सूंट परहादे, मनै बूंट परहादे।
मनै चून्नर उढ़ादे, घूघट करवादे।
मनै चून्नर उढ़ादे, घूघट करवादे, मिलै हाथ में हाथ।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

मेरा पलँग सजादे, गद्दे बिछवादे।
तकिए लगवादे, इत्र गिरवादे।
तकिए लगवादे, इत्र गिरवादे, महकण दे सारी रात।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

शाहपुरिया आनन्द, धरै छन्द पै छन्द।
कटें बिफता के फन्द, आज्या आनन्द।।
कटें बिफता के फन्द, आज्या आनन्द, तू मानले मेरी बात।
बालम तै फेदूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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13 July 2020

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 1 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 1

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 1 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : गुरु गोरखनाथ के साधुओं से पूरणमल की वार्ता
तर्ज : मेरा घरा जाण नै जी कर रहया सै

कौण कुएँ में करहावै सै, किसनै पकड़या डोल
माणस सै के भूत भूतणी, कुछ तो मुख से बोल 

हम सन्यासी, रमते जोगी, गाम गाम में फिरते 
राह का जाणा, माँग के खाणा, ना ज्यादा लालच करते 
कभी यहाँ और कभी वहाँ, या सारी दुनिया गोल 
माणस सै के भूत भूतणी, कुछ तो मुख से बोल 

मैं एक बिचारा, दुःख का मारया, पड़या कुएँ में रोउँ सूँ
रात और दिन, मुश्किल जीवन, दिन जिंदगी के खोउँ सूँ
टोहूँ सूँ मैं उस ईश्वर नै, जो दे फंद बिफता के खोल 
माणस सै के भूत भूतणी, कुछ तो मुख से बोल 

ईश्वर भक्ति सच्ची शक्ति, ना और किसे तै डरते 
गुरु की प्यास बुझावण खातिर, डोल कुँएँ तै भरते
लड़ते नहीं किसी बन्दे से यो, सच्चे गुरु का कौल 
माणस सै के भूत भूतणी, कुछ तो मुख से बोल 

आनन्दसिंह कहै मनै बचाल्यो, शाहपुर मेरा गाम 
बालअवस्था गुरु मिल्या ना, जिन्दगी पड़ी तमाम 
राम नाम का भजन करूँ, ये बाजै ढपड़े ढोल 
माणस सै के भूत भूतणी, कुछ तो मुख से बोल 
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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12 July 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 6

वृत्तांत : बनवारी लाल द्वारा रसकपूर का सौंदर्य वर्णन राजा जगतसिँह से
तर्ज : हो मन्ने आँवे हिचकी

मन्नै खिम्मा घणी हूजूर,
हाथ जोड़कै विनती करता करदो माफ कसूर
मन्नै खिम्मा घणी हूजूर।

इक्कीस राणी तेरे महल में, उन्नीस पटराणी।
इस गौरी के आगे भरती दिखें सारी पाणी।।
मटकी छलकैगी जरुर.....

के बेरा कौण दस्तक देवै उसके मन खाली में
के बेरा कौण डुबैगा उस मद जोबन प्याली में
थारे होंठां तै थोडी दूर...

गोरे रंग के लश्कारे पै नीले नीले नैन
जो भी देखै नजर मिलाकै उसका लूटै चैन
ऐसी दो नैनाँ की घूर..

ना मानो तै बूझ लियो चाहे आनन्द मेरा गवाह
शम्मा उपर परवाने तो होते हैं स्वाह
के सै आशिक का कसूर..

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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09 July 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 13 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 13 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 13

वृत्तांत : कैद में रसकपूर की वार्ता  शूरदेव किलेदार से
तर्ज : देशी

हो शूरदेव किलेदार तूं दादा मैं पोती ।
मतना बुझै बात आत्मा रोती ।।

मैं पतिव्रता नार, अडिग रही सत पै
कदे आवण दी ना आँच राज के पत पै
अधराजण का अभमान, चढया ना मत पै
सदा रखी आन और बान, निगाह रही गत पै
करया नहीं कोए खोट, लाग रही चोट, सजा मैं ढोती।

मनैं पूजे शिवजी राम, कन्हैया काळा
मैं पढ़ती रही नमाज, करया ना टाळा
ना कदे हारी अपणे, दीन धर्म का पाळा
मैं तै रटती रही सदा, सजन की माळा
मैं तै मूधी पड़ पड़, पैड़ सजन की टोहती।

फतेकंवर राणी नै लूट लई छळ कै
गहरी खेली चाल सारियाँ ने रळ के
उनै भरे सजन के कान मेरे तै जळ कै
वे तै फेर गई तलवार दूधारी गळ पै
रही लाग, विरह की आग, ना रात दिन सोती।

मैं फिरूँ टोहुँवती राम, त्याग देइ बण मै
लेई फेर नजर की मेहर, सजन नै छण मै
मनैं बसा लिए भगवान, देह कण कण मै
मनै छोड़ डिगरग्या आनन्द एकला रण मै
मैं रही लाग, छुडावण दाग, मैल बिन धोती।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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किस्सा अधराजण - रागनी 10 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 10 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण - रागनी 10

वृत्तांत : अधराजण की अर्ज  बाहदुर से
तर्ज : हो छोरे मतना पकड़े हाथ

हो बाहदुर, मतना मारे लात, राखले, अधराजन की बात
जात का, थेहड़ा पिट ज्यागा, महल में, बेरा पट ज्यागा

वो दिन भूल गया डयोढ़ी पे, ठोंके था सलाम
ठोंके था सलाम
मेरे हुक्म तै छुटया था, जब, पीटे था तने गाम
पीटे था तने गाम
राम का, करले दिल पे ख्याल, आज मेरा, यो हे एक सवाल
टाल कर, दुखड़ा मिट ज्यागा, दुख का बादल हट ज्यागा

काल ताही मैं हाकिम थी, तूँ नौकर मैं राणी
नौकर मैं राणी
सारी प्रजा सुख में बसती, मैं हे धक्केखाणी
मैं हे धक्केखाणी
स्याणी, होके हुई बिरान, रे मतना खींचे मेरे प्राण
कान दे, छोड़ लटक ज्यागा, दर्द तै पर्दा फट ज्यागा

राजा रुस्या, प्रजा रूसी, रूस गई तकदीर
रूस गई तकदीर
मार कै कोड़े खाल खींच ली, होवे सै घणी पीर
होवे सै घणी पीर
होगे कपड़े झीरमझीर,रे बेबस, होगी अर्धनग्न
अंग का, वस्त्र फट ज्यागा, शर्म तै हिरदा फट ज्यागा

आनंद शाहपुर आळे ने भी, ख्याल करया ना मेरा
ख्याल करया ना मेरा
दे के हुक्म डिगरग्या बैरी, मेरा करग्या उज्जड डेरा
करग्या उज्जड डेरा
तेरा मानूँगी एहसान, बख्श मेरा, दुख पा रहया सै गात
रात जा, दिन भी छंट ज्यागा, भूप का गुस्सा हट ज्यागा

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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08 July 2020

किस्सा अधराजण रागनी 11 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण रागनी 11 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा अधराजण रागनी 11

वृत्तांत : रसकपूर की पुकार अपने प्रेमी को श्री कृष्ण भगवान केशव के मध्यम से
तर्ज : देशी

किरशन तूँ ही बतादे राधा रोवे क्यूँ पल पल तेरी याद में।
राधे न्यारी डगरिया म्हारी, चलणा पड़ेगा एकला बाद में।।

तेरे प्रेम की मुश्क लगी फेर मेरा के सै दोष
होणी बणी होण की खातिर मत कर राधे रोष
राधे होश गँवावे मतना, प्यार रहेगा हरदम  साथ में।।

आँख मूंदते तूँ ही दिखे, दिल में बसगी सूरत
परम पिता परमेशर की तूँ दिल में लाइए मूरत
सूरत रह ज्यागी जग में सीरत जावेगी राधे तेरे साथ में।।

ज्ञान शास्त्र मैं के जाणू, झूठा तेरा व्यवहार
नीत लगाले पनमेशर में यो जीवन का सार
राधे टूट जा तार साँस की, माटी की खोड़ रहज्या गात में।।

आनन्द शाहपुर आळा भी गैल्या कर रहया विनती
एक दिन जोड़ा पाटे सै ना सदा किसे की बणती
गिणती मेरी भी होज्या राधे नाम जुड़ेगा तेरे साथ में।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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03 July 2020

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 2 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 2

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 2 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : भगत पूरणमल की सुंदरा दे के द्वार पे अलख
तर्ज : ले के पहला पहला प्यार।

करता विनती बारम्बार, जाती क्यूँ ना भिक्षा डार ।
साधु कद का, खड़या सै, तेरी इंतजार में ।।

गुरु गोरख मेरे धूणा लाते, कानकटे बाबा कहलाते।
जाते हर नगर और गाम, भिक्षा ल्याणा म्हारा काम।
कितै मिलज्या, कितै पाउँ, कोरी दुत्कार मैं ।।
करता विनती बारम्बार

दिल अपणे नै न्यू समझाउँ, मिलज्या जो भिक्षा तै डेरे नै जाउँ 
गाउँ उस ईश्वर का गान, जिसकी बजै डमरु की तान ।
शिवजी भोला, जो नाचै, हो जग प्रलय संसार में ।।
करता विनती बारम्बार

भैरों बाबा भला करैगा, दुख पीड़ा तेरी सारी हरैगा।
करैगा तेरा बेड़ा पार, यो सै मायावी संसार,
कड़ तक, धंसी पड़ी सै, तूं दुख की गार में ।।
करता विनती बारम्बार

क्यूँ ना खाट तै तलै पाँह धरती, ज्यादा निद्रा मौत को बरती,
करती फिरै सेहत का नाश, एक दिन रुकती सबकी साँस,
जम के दूत, बिठालें, फेर अपणी कार में ।।
करता विनती बारम्बार

गुरूजनों को कैसे पाउँ, उनके जैसी कविता बणाउँ।
आउँ ना मैं इब दोबारा, तेरा खड़या महल चौबारा ।
रमते जोगी, छिक ज्यांगे, आज पाणी की धार में ।।
करता विनती बारम्बार

सोनीपत जिला, शाहपुर डेरा, जित आनन्द का रैन बसेरा ।
फेरा लगै आगले साल, भिक्षा घाल चाहे मत घाल ।
पाप अर पुन्न का, न्याय होता, उस सच्चे दरबार में ।।
करता विनती बारम्बार

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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01 July 2020

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 3 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 3

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 3 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : कुँए में से पूरणमल की पुकार
तर्ज : कहे तोसे सजना, ये तोहरी सजनिया पग पग लिये जाऊँ, तोहरी बलइयाँ

कोई तो बचालो मुझको, मैं हूँ अपंग |
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ।।

हे रै मेरा पिता सै मेरा हत्यारा।
मौसी के कहे में, आकै मैं तो मारा।।
माँ का दुलारा उसकी आँख्याँ की उमंग ।
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ||

करण गया था मैं तो मौसी के दर्शन।
पाउँ जो दर्शन तो, होवै जिया प्रसन्न।।
शीश निवाया मन्नै, जित मौसी के चरण ।
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ||

काम के वश हुई, मौसी मेरी।
लगी मोहवण मनै, करी कोशिश भतेरी।।
रोवै धमकावै, मोहवै, जणुं पीए हुए भँग |
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ।।

मैं मुजरिम बण्या, जज बाबु मेरा।
मौसी पार्टी, कसै झूठ का घेरा।।
कोऐ ना वकील मेरा, आनन्द कैसे जीतूं जंग |
सरदी-गरमी बारिश लागै, नंग-धडंग ।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 4 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 4
किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 4 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : सुंदरा दे की वार्ता दासियों से
तर्ज : दीदी तेरा देवर दीवाना

कितना सुथरा था यो बाबा मरज्याणा
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा
के माँगै था कोए मन्नै भी बताणा
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा-2

मैं सोउँ थी भीतर, न्यू ताणे रजाई ।
जब आया था बाबा, तै क्यूँ ना जगाई ।।
अपणे हाथाँ तै जिमाती उनै खाणा ।।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

नींद की गफलत में, जो ली अंगड़ाई ।
उकी मीठी सी बाणी, मेरे कानाँ मैं आई।।
गोरे रंग पै, खिल्या था गोरा बाणा ।।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

तुम सारी निगोड़ी, ना काम-काज की।
साँझ सवेरे, धड़ी ए नाज की ।।
थारी गलती का ना कोऐ ठिकाणा ।।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

मैं भाजी भतेरी, के दर्शन पाउँ ।
गुरुजनों बिन, कैसे गाउँ।।
यो आनन्द नै बणाया कैसा गाणा।
हाय राम बुलाकै कोई सी ल्याणा

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 5 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 5

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 5 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : सुंदरा दे की अर्ज भगत पूरणमल से
तर्ज : मुकाबला मुकाबला

कडै चल्याs, दिल हिल्या, बाबा ।
ओssss बाबा, ओssss बाबा ।।

गोरा-गोरा रुप तेरा मन मोह गया, मन मोह गया ।
चेहरा तेरा चाँद जैसा, दिल खो गया, दिल खो गया ।।
नजर उठाs, लटा हटाs, बाबा।।
ओssss बाबा, ओssss बाबा ।।

कोयल की कूक जैसी तेरी वाणी, तेरी वाणी।
सेवा में हाजिर खड़ी, तेरै राणी, तेरै राणी।।
हुक्म चला, गळे लगाs, बाबा।
ओssss बाबा, ओssss बाबा ।।

उम्र तेरी याणी और दुख ज्यादा, दुख ज्यादा।
ओढ़ के फकीरी मिलै के फायदा, के फायदा।।
के मेरी खताs, प्यार जताs, बाबा।
ओssss बाबा, ओssss बाबा ||

मेनका सी सुन्दर तेरा मन मोहूँगी, मन मोहूँगी।
रूस गया आनन्द तै कित टोहूँगी, कित टोहूँगी।।
सुन गाणा, तज बाणाऽ, बाबा |
ओssss बाबा, ओssss बाबा ।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9

किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : सुंदरा दे की अर्ज भक्त पूरणमल से
तर्ज - कजरा मोहब्बत वाला

सुंदरा : गोरा सै तेरा बाणा, दिखे सै बाबा स्याणा।
           मरज्याणे इसी घलगी मेरै घाल, हाय रे मै होग्यी बेहाल।
    
पूरण : मैं तो एक बाबा रै ठैहरया, तन्ने के कोन्या बेरा।
     मेरे संग कोन्या लागे ताल, क्यूँ कर रही सै अपणा जिया काल।।

सुंदरा : डेरे पै तेरे आऊँ, तेरे गुरु ने मनाऊँ
           बदले में दयूंगी धन और माल, सेवा करूँगी सालों साल।

पूरण : हम तो सै सच्चे रै साधु, तने देखे होंगे और स्वादु
          म्हारा तै सबतै यो सवाल, मुट्ठी भर भिक्षा जा नै डाल।।

पूरण : सांसारिक मोह और माया, औरत को रोग बताया
  गुरु गोरख की शिक्षा का कमाल, क्यूँ फेंके सै अपणा माया जाल।

सुंदरा : औरत से पैद कहाते, औरत को तुच्छ बतलाते
           मर्दों की कैसी ओळी चाल, ओढ़ें से झूठी थोथी खाल।।

सुंदरा : सुणले मैं तन्ने बरूँगी, ना तै बेमौत मरूँगी
          गिरूँगी कुँए, झेरै ताल, उठें सै सौ सौ मण की झाल।।

पूरण : आनन्द सच्चाई कहता, बाल ब्रह्मचारी रहता
          मेरा निकालो दिल से ख्याल, भोळा करेगा सब सँभाल।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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किस्सा - भक्त पूर्णमल रागनी - 10 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा - भक्त पूर्णमल रागनी - 10

किस्सा - भक्त पूर्णमल रागनी - 10 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी
वृत्तांत : पूरणमल को गुरु गोरखनाथ का ज्ञान
तर्ज - फूल तुम्हे भेजा है खत में

ओम नाम का जाप करे जा, शुध्द हो ज्यागी काया।
अंग प्रत्यंग हो स्वस्थ लाभ और दिन प्रतिदिन माया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

दो बे दिन में शाम सवेरी, मल मल के अस्नान करो।
सच्चे मन से अर्पित हो के, उस ईश्वर का ध्यान करो।
पहचान करो उस लीलाधर की, जिसने यो जगत रचाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

धूर्त लोभी लम्पट कपटी, काम क्रोधित नारी।
सबते बड्डी एक बीमारी, ठग्गी, चोरी, जारी।
नारी तै हो देव रूप भाई, फेर क्यूँ फिरे भकाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

मुँह में राम बगल में चाकू, नहीं निशानी सज्जनों की।
कड़वी बाणी, जुबाँ पे गाळी, फेर के जरूरत भजनों की।
गुरूजनों की जो कद्र ना करता, उने फेर के गाणा गाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

प्यार बड़ा बलवान जगत में, प्यार ही सबका है आधार।
प्यार का भूखा आनन्द डोले, हर नगरी, हर घर और द्वार।।
प्यार जिवा दे उस पाथर ने, जो हाल्ले, हिले ना हिलाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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30 June 2020

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 6

किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 6 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागनी


वृत्तांत : सुंदरा दे की अर्ज गुरु गोरखनाथ से
तर्ज शुद्ध देसी


गुरु गोरख मैं तेरी शरण में, कहया मानल्यो मेरा ।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ।।

मैं सतमासी, निरणाबासी, पूरणमासी आज सै
ब्राह्मण न्यौतु, व्रत करूँ, धर्म पुन्न का काज सै
सारा डेरा, आवै तेरा, भोजन मेरे घर आज सै
सारे बाबा, ल्यावै छाबा, भिक्षा खातिर नाज सै
मैं ब्रह्मकुमारी, अर्ज लगारही, चढ़ता आवै सवेरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा | |

जितने साधु, सारे न्यौतूं, त्यार धरे हैं सत पकवान
कल की बरती, भक्ति करती, मेरा रखल्यो आदर मान
गाणा बजाणा, न्हाणा खाणा, और साथ में हो जलपान
सूती ताणा, भगवाँ बाणा, सबतै बाँटूँ, एक एक थान
व्रत मैं खोलूँ, खुशी में डोलूं, देखकै उसका चेहरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ||

करल्यो तावळ, मीठे चावळ, ठण्डी होती थाळी
गरम मसाले, सारे डाले, लाल मिर्च और काळी
नमकीन पापड़, बढिया सापड़, दही आगरे आळी
घी-बूरा और मोतीचूरा, लाडुवाँ की अदा निराळी
जल्दी चालो, भोजन खाल्यो, चिन्ता में जी मेरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ||

नौकर चाकर, दास और दासी सारे सेवा में तैयार
पैर पकड़ती, अर्ज मै करती, सेवा में खड़ी ताबेदार
बारम्बार, करूँ गुहार, मेरी सुणल्यो अर्ज पुकार
मैं राधा वो कान्हा सादा, दर्शन दे दो कृष्ण मुरार
आनन्द शाहपूर वाले नै किसा रुप का जादू फेरा ।।
मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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28 June 2020

किस्सा अधराजण - रागनी 12 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागणी

किस्सा अधराजण - रागनी 12 - नया हरयाणवी गाना गीत कविता व राग रागणी

किस्सा अधराजण - रागनी 12

वृतांत : अमीरण बाई के साथ मुकाबले में रसकपूर का जवाब
तर्ज : यह पर्दा हटा दो, ज़रा मुखड़ा दिखा दो

ओ अमीरण बाई, तू महफ़िल में गाणे आई
तनै अक्कल कोन्या आई, कैसा गाणा चाहिए ।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

गुरु मानसिंह नेत्रहीन थे, ज्ञान का पेडा लागे
उसकी मेवा तोड़ तोड़ कै, बड़े बड़े साँगी खागे
ना छाप काटके गाइए, रंग नया छाँट के ल्याईए
कोए ऐसा राग सुनाइये के रंग छाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

गीत भजन और राग रागणी, नाटक या नौटंकी
जितनी कर दयूं, उतनी ए थोड़ी, प्रशंसा लख्मीचंद की
ढंग की लय भी ठाई जा सै, बेसुरी बुरी बताई जा सै
इज्जत की खाई जा सै, ना के पाप कमाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

मायने के महँ श्री दयाचन्द नए नए छंद बणावे 
नई रागनी, नई तर्ज, इसी लय सुर में वो गावै 
चाहवै सै सारा जमाना, प्रसिद्ध कर दिया जग में मायना
इसा मारे तीर रक्काना, के मन भाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

करके याद गुरु अपणे ने, नई रागणी त्यार करै
मांगेराम पाणची आळा, लय सुर की इसी मार करै
पार करै गंगा जी माई, वार करी ना कथा बणाई, 
इसी शब्दाँ की करी घड़ाई, मन हर्षाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

जाट मेहरसिंह फौज में होके, देश के ऊपर मरग्या
देशभक्ति और वीर रस ने, नस नस के महँ भरग्या
करग्या ऊँचा नाम बरोणा, दुश्मन ते कदे डरो ना
बिन आई मौत मरो ना, हँगा लाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।।
ओ अमीरण बाई.....

आज बाजे भक्त और धनपत सिंह ना चन्दरबादी साथ में
श्री राजकिशन गए शीश निवा, ब्राहमण जगननाथ ने
बात ने गलत नहीँ बोलेगा, आनन्द नरजे में तोलेगा
इन्हकी चरण रज ले लेगा, शीश निवाणा चाहिए।
महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए
ओ अमीरण बाई.....

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21


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