01 July 2025

किस्सा हीर राँझा : नई हरयाणवी रागणी

 

किस्सा हीर राँझा : नई हरयाणवी रागणी 

वृतान्त : हीर अपनी बुआ बुल्ली से राँझे की बाबत  

तर्ज : लाख टके का, हे मां मेरी बाजणा री


डाट लिए जै, डटज्या तै री, हे री उस पाळी नै झंग गाम 

मेरे बिन मरज्या डकराकै री 


बारा साल लग, मेरे री प्यार में, हे री उनै भैंस चराई बिन दाम  

मेरे बिन मरज्या डकराकै री 


दो बख्तां की, रोटी री पाणी, हे री मनै पुगा देइ सुबह शाम 

मेरे बिन मरज्या डकराकै री 


मैं मजबूर, कर्म की री हीणी, हे री मनै जाणा बिराणे धाम 

मेरे बिन मरज्या डकराकै री 


कैदों चाचा, दुश्मन होग्या, हे री उनै दूर करया मेरा श्याम

मेरे बिन मरज्या डकराकै री 


तेरे भरोसे बुल्ली, मैं तो चली, हे री मेरी इज्जत नै ले थाम  

मेरे बिन मरज्या डकराकै री  

 

आनन्द शाहपुर, फिरै डहरां में, हे री किसा पड़ै कसाई घाम 

मेरे बिन मरज्या डकराकै री 

कॉपीराइट©आनन्द कुमार आशोधिया - 2025

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