किस्सा हीर राँझा : नई हरयाणवी रागणी
वृतान्त : राँझे का विलाप हीरे के प्रति
तेरे बहम में पागल होग्या, ना तेरी जात पिछाणी
धोखा दे कै चाल पड़ी तूँ, बण अक्खन की राणी
तेर तै प्रेम कमाकै हीरे, मनै कुछ ना सुखड़ा पाया
तेरे ढोरां का पाळी बणकै, छिकमा दुखड़ा ठाया
तेरी बाट में पड़या रहूँ था, कदे भूखा कदे तिसाया
राँझा राँझा कहकै लूट लिया, तनै मेरा मन भरमाया
इब ना तूँ दिखै ना तेरी हेल्ली, ना तेरी दिखै ढाणी
तेरे ढोरां के पाछै पाछै, मनै दिन भर पूँछ मरोड़ी
दिन ढळते तूँ आवै खरक में, ना बात कदे भी मोड़ी
इस कंगले तै तोड़ मुलाहजा, थ्याग्या पति किरोड़ी
डहर छोड़कै हरी घास ईब, चरणा चाहवै घोड़ी
अपणा उल्लू सीधा करकै, कित चाल्ली इब स्याणी
तेरा ब्याहली का रूप देखकै, खटका लाग्या मन पै
काणे गैल्या बैठी देखी, मेरै अज़गर लड़ग्या तन पै
काटो तै मेरै खून नहीं, ना रह रहया खून बदन पै
अपणा हाथ फेरती जाइये, मेरी अर्थी और कफ़न पै
प्यादा छोड़कै राजा चुण लिया, बणगी खास पठाणी
मैं पड़या डहर में लोचूँ सुं, तेरा डयोळा जड़कै जा सै
जाती जाती कुरेद कै जाइये, इबै काचा काचा घा सै
छाती पै पांह धरती जाइए, मेरी छाती पर कै राह सै
गुरु पालेराम पास में कोन्या, मनै योहे दुखड़ा खा सै
आनन्द शाहपुर गुरु किरपा तै, सीख रागणी गाणी
कॉपीराइट©आनन्द कुमार आशोधिया - 2025
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