हरयाणवी शादी में भात रस्म - नई हरयाणवी रागणी
चाची ताई अगड़ पड़ोसण, शुभ गीत गवावण लागी
सासु नणन्द दौराणी जिठाणी, भाती लिवावण लागी
मेरे भतीजे चाँद सितारे, सूरज सा मेरा भाई
तोरण ऊपर खड़ी बराबर, मेरी माँ की जाई
हे आगै आगै बैण्ड बाजता, नाचैं लोग लुगाई
टैम पै आग्या माँ का जाया, होगी मान बड़ाई
धो कै बाहरणा चौक पूर दिया, पटड़ा बिछावण लागी
गज की छाती करकै बीरा, पटड़े ऊपर खड़या हुया
लोटै नेग गेरणे नै वो, मेरी नणदी तै भिड़या हुया
सिर पै चुन्दड़ गळ में माळा, कुन्दन कण्ठा घड़या हुया
तोरण ऊपर धर दिया चुन्दड, हीरे मोती जड़या हुया
मेरी नणदी प्यारी लड़ लड़कै नै, नेग धरावण लागी
हे माथै चावळ लाती जा मेरा, थर थर हिरदा हिलता
देख देखकै भाई भतीजे, मेरा मन आनन्द में खिलता
बिन माँगे सब मिल ज्यावे, ना माँगे कुछ भी मिलता
धी बेटी तै दान करया हुया, दुगणा चुगणा फळता
बड़ी बूढी सब कट्ठी होकै, दान का धर्म गिणावण लागी
देइ मान बराबर दौराणी जिठाणी, म्हारी ऊँची गर्दन करदी
हज़ार, पाँच सौ, सौ दो सौ के, नोटां तै थाळी भरदी
सबके गळ में हार घाल दिए, म्हारे सिर पै चूंदड़ धरदी
आनन्द शाहपुर देख नज़ारा झर झर अँखियाँ झरती
खाण्ड कसार और घी बूरा तै फेर भाती जिमावण लागी 🙂
कॉपीराइट©आनन्द कुमार आशोधिया©2024-25
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