किस्सा : हीर राँझा - कैदों द्वारा हीर को ज़हर देकर मरवाना
वृतांत : हीर रांझे के विवाह में हीर की मौत पर रांझे का विलाप
तर्ज: नगरी नगरी द्वारे द्वारे ढूंढू रे सांवरिया
मेरी हीर मार कै गेर देई, तम्ह मन्नै भी मरवाइयो रै
जो भी जहर दिया हीरे तै, वो मन्नै भी चटवाइयो रै
आदिल शाह राजा के हुक्म तै, हीरे नै ब्याहवण आया था
हीरे नै ब्याहवण आया था
बिछड़े यार फेर मिलैंगे, चढ़या मन में घणा उम्हाया था
चढ़या मन में घणा उम्हाया था
मैं तै मोड़ बाँध कै आया था, इस मोड़ नै परै बगाइयो रै
सारे बदन में ज़हर फ़ैलग्या, मेरी हीरे लीली पड़गी रै
मेरी हीरे लीली पड़गी रै
होंठ काळमा आँख मूँद रही, चेहरे की लाली झड़गी रै
चेहरे की लाली झड़गी रै
इकै कुणसी नागिण लड़गी रै, उतै मनै भी डसवाईयो रै
हीरे तड़फ तड़फ कै मरगी, मैं तै खड़या देखता रहग्या
मैं तै खड़या देखता रहग्या
मेरे प्यार के मन मन्दिर का, यो बुर्ज किला सा ढहग्या
यो बुर्ज किला सा ढहग्या
मेरी आँख्यां में तै दरिया बहग्या, आँख्या की गर्द हटाइयो रै
वो लाड्डू दियो मन्नै खुवा तुम्ह, जिसमें ज़हर मिलाया
जिसमें ज़हर मिलाया
चाचा हो कै डूब मरै नै, खुद बेटी तै ज़हर खिलाया
खुद बेटी तै ज़हर खिलाया
खुद आनन्द शाहपुर देखकै आया, उसनै याहड़ै बुलाइयो रै 🙂
कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया©2025
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