26 July 2025

श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

 

श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

हर नुक्कड़ चौराहे पे, पान की दूकान पर

भिन्न भिन्न आकार में, भिन्न भिन्न प्रकार में

आपकी सेवा में उपलब्ध हूँ श्रीमान, 

मुझे गुटखा कहते हैं!


आप भी आएं, दूसरों को भी लाएं

खुद भी खाएं, दूसरों को भी खिलाएं

क्योंकि सहजता व प्रचुरता में उबलब्ध हूँ श्रीमान, 

मुझे गुटखा कहते हैं!


गले और गाल के कैंसर की गारंटी है

जवानी में ही बुढ़ापे के असर की गारंटी है

धीरे धीरे गुटक लेता हूँ इंसानों की जान, 

मुझे गुटखा कहते हैं!


खांसी कफ़ के साथ साथ, दांत भी खराब होंगे

शारीरिक कमजोरी के संग, गुर्दे और आंत भी खराब होंगे

मेरे भेजे मुर्दो से तो क्षुब्ध है श्मशान, 

मुझे गुटखा कहते हैं!


छोटी मोटी विपदा नहीं, साक्षात् काल हूँ मैं

यम यहाँ, दम वहां, उससे भी विकराल हूँ मैं

साक्षात् मौत के सामान का प्रारब्ध हूँ श्रीमान, 

मुझे गुटखा कहते हैं!


जीवन पर्यंत आपको कंगाल बनाए रखूगा,

इस बेशकीमती ज़हर का गुलाम बनाए रखूगा

आप फिर भी मुझे गुटक रहे हैं, स्तब्ध हूँ श्रीमान, 

मुझे गुटखा कहते हैं!

रचयिता : आनन्द कुमार आशोधिया कॉपीराइट©2015-2025 

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