11 July 2025

किस्सा शाही लकड़हारा : नई हरयाणवी रागणी

 

किस्सा शाही लकड़हारा : नई हरयाणवी रागणी
किस्सा शाही लकड़हारा : नई हरयाणवी रागणी
वृतान्त : बीना अपने पति शाही लकड़हारे को
तर्ज : हूर का चंदकिरण सै नाम

बण में तेरी एकली ज्यान, ज़िन्दगी होरी तेरी बीरान
ठहर टुक मैं भी चालूँगी

भाग में रहणा तेरी गैल, छोड़ दे बेमतलब के फ़ैल
भाग में रहणा तेरी गैल, छोड़ दे बेमतलब के फ़ैल
करूँ मैं चौबीस घंटे टैहल, गेड़ में ल्यादूं सारे काम
हाथ दो मैं भी घालूँगी

भाग सब अप अपणा ले आवैं, जगत में करकै कर्म कमावैं
भाग सब अप अपणा ले आवैं, जगत में करकै कर्म कमावैं
आज तै दोनूँ करकै खावैं, तनै भी मिलज्या कुछ विश्राम
बोझ कुछ मैं भी ठाल्यूंगी

उस मालिक नै जोट बणादी, तेरी इस दुनिया बीच बगादी
उस मालिक नै जोट बणादी, तेरी इस दुनिया बीच बगादी
सजादी मेरे माथे की रेख, सिंगर कै रोजाना सुबह शाम
तेरे संग मैं भी हालूँगी

आनन्द शाहपुर कान्ही चाल, पता कर उस लाला के हाल
आनन्द शाहपुर कान्ही चाल, पता कर उस लाला के हाल
जिनै तूँ बणा दिया कँगाल, धरा लिया घर चन्दण बेदाम
रकम तेरी इब धराल्यूंगी 🙂
कॉपीराइट : आनन्द कुमार आशोधिया©2025
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