04 July 2025

किस्सा - भक्त पूर्णमल - रागनी - हरयाणवी रागनी

 

किस्सा - भक्त पूर्णमल - रागनी - 3  

वृतांत : गुरु गोरखनाथ का ज्ञान पूरणमल को 

तर्ज : फूल तुम्हे भेजा है खत में 


ओम नाम का जाप करे जा, शुध्द हो ज्यागी काया

अंग प्रत्यंग हो स्वस्थ लाभ और दिन प्रतिदिन माया


दो बै दिन में शाम सवेरी, मल मल कै असनान करो

फिर सच्चे मन से अर्पित होकै उस ईश्वर का ध्यान करो

पहचान करो उस लीलाधर की, जिसनै यो जगत रचाया


धूरत लोभी लम्पट कपटी, काम क्रोधित नारी

सबतै बड्डी एक बीमारी, ठग्गी, चोरी, जारी

नारी तै हो देव रूप भई, फेर क्यूँ फिरै भकाया


मुँह में राम बगल में चाकू, नहीं निशानी सज्जनों की

कड़वी बाणी, जुबाँ पे गाळी, फेर के जरूरत भजनों की

गुरूजनों की जो कद्र ना करता, उनै फेर के गाणा गाया


गुरु पालेराम की भक्ति करकै, तूँ परले पार उतरज्या

ज्ञान की पोथी, लिख लिख धरले, निर्बुद्धि मूष कुतरज्या

सुधरज्या ना कुभद कमा, यो बिरथा जन्म गँवाया


प्यार बड़ा बलवान जगत में, प्यार ही सबका है आधार

प्यार का भूखा आनन्द डोलै, हर नगरी हर घर और द्वार

प्यार जिवा दे उस पाथर नै, जो हाल्लै हिलै ना हिलाया

कॉपीराइट : आनन्द कुमार आशोधिया©2020-25 

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